लघुकथा : हैसियत


रेखांकन- रत्नेश 
वह कार की चपेट में आते-आते बचा। कार वाला जाते-जाते कह गया, ‘‘अबे मरना है तो क्या हमारी गाड़ी ही रह गई।’’
बुड़बुड़ाते हुए उसने जाते हुए कार को गुस्से से देखा, ‘‘गाड़ी में बैठ जाते है तो अपने को न जाने क्या समझने लगते हैं, जैसे सड़क इनके बाप की हो।’’
वह आगे बढ़ा। थोड़ी ही दूर निकला कि एक बूढ़ा सड़क पार करते हुए उसकी साइकिल से टकराते-टकराते बचा। वह चीखा----
‘‘अंधे हो क्या, देखकर नहीं चल सकते?’’
उसने बूढ़े को घूरकर देखा और आगे बढ़ गया।

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