वह पसीने से तरबतर कहीं से लौट रहा था। सिर के बाल अस्त-व्यस्त थे। उसे जोरों की प्यास लगी थी। थकान के चिह्न चेहरे पर स्पष्ट दिखाई दे रहे थे।
वह बच्चे की ओर बढ़ा। सड़े-गली सुनसान थी। उसने साइकिल रोककर बच्चे से पूछा----
‘‘क्यों रो रहे हो बेटे ?’’
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Photo by Ratan Chand 'Ratnesh' |
‘‘................’’
‘‘भूख लगी है ?’’
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बच्चे ने प्रत्युत्तर में कुछ नहीं कहा। साइकिल खड़ी कर उसने बच्चे को गोद में उठाया और चिंतित होकर इधर-उधर देखने लगा। उसने सोचा, पता नहीं किसका बच्चा है ? अब किससे पूछे ? इस भरी दोपहर में अब किस-किसका दरवाजा खटखटाए ?
बच्चा रोना बंद करके अब सुबकने लगा था। तभी पास ही एक मकान के बाहर एक औरत नज़र आयी। बच्चे को साइकिल के पीछे बिठाकर वह उधर ही बढ़ने लगा।
उसी समय पीछे से दो-तीन लोग दौड़े आए। एक ने बच्चे को झपट कर गोद में ले लिया। दूसरे ने उसकी साइकिल छीनकर एक ओर फेंक दी और लगे बिना सोचे-समझे उसे पीटने।
‘‘साले, बच्चे को उठाकर ले जा रहा था।’’
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