लघुकथा: पूजा-पाठ

उनके सितारे इन दिनों गर्दिश में थे। ज्योतिषाचार्य  ने सुझाया कि अमुक देवता को प्रसन्न करने के लिए अमुक दिन मंदिर में विशेष  पूजा-पाठ कराएं। लगे हाथों ज्योतिष  ने मंदिर के पुजारी को मोबाइल पर  पूजा का दिन भी निश्चित  कर दिया।
प्रसन्नमना वे उस दिन मंदिर में थे। अपनी कार से पूजा-सामग्री और परसाद का टोकरा उतरवा रहे थे कि एक भिखारी सामने आकर गिड़गिड़ाने लगा -----
‘‘भगवान आपकी सारी मिन्नतें पूरी करें, साब। घर खुशियों  से भर जाय।...... कल शाम से कुछ नहीं खाया........... ।’’ कहकर उसने ज्योंहि अपना हाथ आगे बढ़ाया कि वे झट से दो कदम पीछे हट गए और बरस पड़े----
‘‘अभी पूजा-पाठ हुआ नहीं कि आ धमके। सुबह-सुबह न जाने कहां से आ जाते हैं कमबख्त।’’

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